नये दिन की नयी शुरुआत बाकी है। नये दिन की नयी शुरुआत बाकी है।
बहुत कुछ है अभी बहुत कुछ है अभी
अभी बाकी है दीन दुखियों की पुकार अभी बाकी है जन शोषण की खुमार ! अभी बाकी है दीन दुखियों की पुकार अभी बाकी है जन शोषण की खुमार !
चले जाना अभी कुछ देर तो ठहर है देर अभी सहर आने में। चले जाना अभी कुछ देर तो ठहर है देर अभी सहर आने में।
नादान है दिल अभी भी, इधर उधर की उलझनों में उलझ जाता है। नादान है दिल अभी भी, इधर उधर की उलझनों में उलझ जाता है।
हर दिन हम सब कुछ जानकर भी कुछ नहीं जान पाते...इसी जानने और पहचानने की कोशिश है ये छंद मुक्त अभिव्... हर दिन हम सब कुछ जानकर भी कुछ नहीं जान पाते...इसी जानने और पहचानने की कोशिश ह...